Thursday, October 2, 2008

चीरघर-३

ऊदल स्वभाव से बेहद भावुक, भोले और निष्कपट इंसान हैं। इसीलिए जब किसी दिन लावारिस लाश आ जाती, उस दिन उनकी खुशी सहज ही उनके चेहरे पर झलकती। सरकारी कायदे के मुताबिक किसी लाश को ठिकाने लगाने (क्रियाकर्म) के लिए उन्हें 25 रुपये मिलते। सरकारी मान्यता के अनुसार इतनी राशि कफन और लकड़ी बगैरह के लिए काफी मानी जाती है। इसके अलावा श्मशान तक लाश को पहुंचाने के लिए आठ रुपये अलग से मिलते। लाश को 'ठिकाने लगाने की जिम्मेदारी असल में पुलिस की होती है, पर इस झंझट से बचने के लिए पुलिस वाले ऊदल के ही सिजदे करते। कई बार तो लाश सड़ी-गली या बहुत घिनौनी हालत में होती।
ऐसे मौके पर लाश को 'ठिकाने लगाना तो दूर, कोई उसके नजदीक जाने तक को राजी न होता, लेकिन ऊदल के लिए यह मौका दावत मिल जाने जैसा होता। बाद में तो ऊदल की खुशी देखकर ही समझ में आने लगा था कि कोई लावारिस लाश आ गई है। ऊदल की जो बात दिल दिल को सबसे ज्यादा छूती, वह थी अपने काम के प्रति उनकी ईमानदारी और तत्परता। लाश को 'ठिकाने लगानेÓ का काम भी वह उसी संजीदगी और नियम-कायदे से करते, जितना मंत्र पढ़ते हुए कोई ब्राह्मण विधि-विधान से अंतिम संस्कार कराता है। ऊदल दो या तीन रुपये देकर किराए पर रिक्शा लाते। लाश को कपड़े में सिलते, फिर उसे रिक्शे से बांधते। अस्पताल में से ही एक साथी को ढूढ लाते, जो लाश उठवाकर किसी सुनसान स्थान पर यमुना में फेंकने के काम में उनका हाथ बंटा सके।
ऊदल का काम ही ऐसा है कि उनके पास आने वाले लोग दुखी और परेशानहाल होते। उन लोगों का दुख दो स्तरों पर होता। एक तो अपने निकट सगे-संबंधी की असमय मौत, और उससे भी बड़ी परेशानी रहती- पोस्टमार्टम और पंचनामे के बाद लाश हासिल करने के लिए सरकारी खानापूरी से छुटकारा पाने की। दूरदराज के किसी गांव-कस्बे से आए लोग चीरघर के बाहर सर्दी, गर्मी या बारिश की परवाह किए बगैर लाश मिलने के इंतजार में वक्त काटते रहते। कभी जब डाक्टर न आता तो उन भूखे-प्यासे नाते-रिश्तेदारों का लाचार हाल देखकर बड़ा तरस आता। लाश मिलने में कभी-कभी दो दिन भी लग जाते। ऐसे में ऊदल का भावुक मन पसीज जाता और वह उनके लिए कुछ करने की जुगाड़ में लग जाते। (अगले पोस्ट में अन्तिम )

2 comments:

परमजीत सिहँ बाली said...

प्रतिक्षा रहेगी।

आप सभी को गाँधी जी, शास्त्री जी की जयंति व ईद की बहुत बहुत बधाई।

Udan Tashtari said...

सही चल रहा है...आगे इन्तजार है!!